दोस्तों रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर एक नया इतिहास रच दिया है. हर हिंदुस्तानी को यह वीडियो जरूर देखना चाहिए क्योंकि इस वीडियो में आप कुछ ऐसा देखेंगे जो आपको गौरवान्वित कर देगा और आपको एक हिंदुस्तानी होने पर गर्व महसूस होगा.
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Rover Pragyan Kya Hai | What Is Pragyan Rover
आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की pragyan rover kya hai तो चलिए इस बारे में हम आपको कुछ इनफार्मेशन दे देते हैं. प्रज्ञान रोवर (Pragyan rover) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित किया गया एक अंतरिक्ष रोवर यानि की एक रोबोटिक व्हीकल हैं जिसमे 6 पहिये लगे हैं. ये चंद्रमा की धरती पर चलेगा और तस्वीरें खींच कर वहां की जानकारियों इसरो को भेजेगा. प्रज्ञान रोवर में इसरो का लोगो और भारत का तिरंगा बना हुआ है. रोवर ‘प्रज्ञान’ की चांद पर चलने की गति एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड है. रोवर प्रज्ञान कैमरों की मदद से चांद पर मौजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा और जानकारी जुटाएगा.
चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद पर खोजा सल्फर, ऑक्सीजन समेत 8 एलिमेंट्स भी मिले
अभी तक प्राप्त जानकारियों के अनुसार रोवर प्रज्ञान ने चाँद के साउथ पोल पर सल्फर होने के सबूत सबूत दिए हैं. रोवर को चांद की सतह पर ऑक्सीजन, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम के होने की जानकारियां दी है. इसरो ने बताया की अभी हाइड्रोजन की खोज जारी है. प्रज्ञान रोवर पर लगे लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (LIBS) की मदद से ये सारी जानकारियां प्राप्त हुई हैं. भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) ने चाँद पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि की है.
दोस्तों रोवर प्रज्ञान को 2 घंटे 26 मिनट के बाद विक्रम लैंडर से चंद्रमा की धरती पर निकाला गया. रोवर प्रज्ञान की वर्तमान गति 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड है और यह चंद्रयान से आधे किलोमीटर के अंदर चंद्रमा पर निरीक्षण का कार्य करेगा और सभी इंफॉर्मेशन चंद्रयान पर मौजूद रिसीविंग यूनिट को भेजेगा.
वहां से यह सिग्नल chandrayaan-3 के ऑर्बिटर को भेजे जाएंगे और वहां से इसे बेंगलुरु स्थित कंट्रोल रूम में भेज दिया जाएगा. रोवर प्रज्ञान ने अपना काम करना शुरू कर दिया है और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रोवर प्रज्ञान जब चंद्रमा की धरती पर चलेगा तो इसके पहियों से चंद्रमा की धरती पर इसरो और भारत के अशोक स्तंभ के निशान बनते चले जाएंगे.
रोवर प्रज्ञान के पहियों में कुछ ऐसे सांचे लगाए गए हैं जिससे चलते वक्त इसरो और अशोक स्तंभ के चिन्ह चंद्रमा की धरती पर बनते चले जाएंगे है ना गर्व की बात. दोस्तों रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के साउथ पोल यानी कि दक्षिणी ध्रुव पर जहां पर आज तक कोई भी देश नहीं पहुंचा वहां पर भारतीयता के निशान बना रहा है और पूरे विश्व को यह संदेश दे रहा है कि भारत अब विश्वरूप बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है.
चंद्रयान 3 क्या काम करेगा?
वर्तमान समय में चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर एक चलती फिरती प्रयोगशाला की तरह काम कर रहा है जिसका काम है चांद की सतह का अध्ययन करना और चंद्रमा पर खनिज संसाधन और दूसरे संसाधनों की खोज करना जिससे कि आने वाले समय में चंद्रमा पर मनुष्य के रहने का सपना हकीकत में तब्दील हो सके. साथ ही साथ रोवर प्रज्ञान यह खोज करने में लगा है कि आखिर चंद्रमा की मिट्टी में कौन-कौन से तत्व है और चंद्रमा की मिट्टी के अंदर क्या छुपा हुआ है.
एक बार यह सारी जानकारियां इकट्ठी हो जाए तो इससे चंद्रमा मनुष्यों बसने की संभावना बढ़ सकती है और आने वाले समय में जिस प्रकार आप एक फैमिली टूर पर किसी हिल स्टेशन या दूसरे शहरों में जाते हैं उसी प्रकार आप चंद्रमा की सैर करने जा सकेंगे.है ना कमाल की बात?
जल्दी ही इसरो के वैज्ञानिक यह बताने में सक्षम हो जाएंगे कि चांद पर उन्हें क्या-क्या प्राप्त हुआ है. चांद का दक्षिणी ध्रुव जहां आज तक कोई भी देश पहुंचने में सफल नहीं हुआ वहां क्या-क्या रहस्य छुपे हुए हैं और इस रहस्य को जानने के बाद किस प्रकार इससे मानव सभ्यता को लाभ पहुंच सकता है.
दोस्तों हम आपको यह बताना चाहेंगे कि रोवर प्रज्ञान इस वक्त जहां विक्रम लैंडर लैंड हुआ है वहां से आधे किलोमीटर के दूरी के अंदर ही अपने रिसर्च कार्य कर पाएगा क्योंकि चंद्रमा एक बड़ा ग्रह है इसलिए जरूरी नहीं है कि उस आधे किलोमीटर में ही चंद्रमा के सारे रहस्य छुपे हो.
हो सकता है कुछ रहस्यों का पता चले और कुछ रहस्य पता ना चल पाए लेकिन फिर भी साउथ पोल चंद्रमा के नॉर्थ पोल से कैसे अलग है और यहां क्या खास है यह जानना बेहद दिलचस्प होगा. साथ ही साथ जब एक बार इसरो चंद्रमा पर सही तरीके से लैंड करना सीख गया है तो आगे इसरो के लिए चंद्रमा पर अपने स्पेस स्टेशन बनाने का सपना आसान हो जाएगा.
दोस्तों ऐसे कई सारे ग्रह है जहां पर पहुंचने के लिए चंद्रमा एक मिडिल स्टेशन का काम कर सकता है. ऐसे बहुत सारे ग्रह है जहां पानी भी मौजूद है और वहां जीवन के लक्षण देखे जा सकते हैं अर्थात वहां जीवन हो सकता है. उन ग्रहों पर पहुंचने के लिए चंद्रमा एक स्पेस स्टेशन की तरह काम कर सकता है. चंद्रमा की ग्रेविटी काफी कम है इसलिए वहां से रॉकेट लॉन्च करना काफी आसान होगा और बहुत ही कम समय में रॉकेट चंद्रमा की ग्रेविटी से आसानी से अंतरिक्ष में प्रवेश कर जाएगा.
चांद पर निरीक्षण करने का एक तरीका होता है एक प्रोसीजर होता है सबसे पहले इसके लिए एक ऑर्बिटर को चांद की कक्षा में स्थापित किया जाता है जिसका काम होता है चांद की परिक्रमा करना और वहां के सतह की जानकारियां इकट्ठा करना. इसके बाद एक दूसरा यूनिट लैंडर के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर उतारना होता है ताकि वह चंद्रमा की सतह पर जाकर नजदीक से वहां का निरीक्षण कर सके.
दोस्तों इसके पहले दूसरे देशों की स्पेस एजेंसी चंद्रमा से वहां की मिट्टी लाकर अपने-अपने देशों के लैब में उसका निरीक्षण करते रही है लेकिन इसरो ने इस बार एक चलती फिरती लैब ही चंद्रमा पर भेज दी क्योंकि चंद्रमा पर जाकर वहां से मिट्टी लेकर वापस पृथ्वी पर लाना बहुत ही खर्चीला मिशन होता है इसलिए इस बार कुछ नए तरीके से भारत के वैज्ञानिकों ने एक नई सोच के साथ विक्रम लैंडर के साथ रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर भेज दिया जो चंद्रमा की मिट्टी का परीक्षण वहीं से करके सटीक जानकारियां इसरो को भेजते रहेगा.
इससे बार-बार चंद्रमा की मिट्टी लाने और उसका निरीक्षण करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी साथ ही साथ चंद्रमा की सतह पर रहने की वजह से वहां वर्तमान समय में कैसी परिस्थितियां है, कैसा मौसम है इन सारी बातों की रियल टाइम जानकारी इसरो को प्राप्त होती रहेगी जिसका इस्तेमाल करके तेजी से इसरो अपने मून मिशन को आगे बढ़ा सकता है.
तो दोस्तों यह थी कुछ जानकारियां रोवर प्रज्ञान, चंद्रयान और इसरो के मिशन मून के बारे में. हमें उम्मीद है कि आप को इस आर्टिकल से कुछ नया सीखने को मिला होगा. अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस आर्टिकल को अपने दोस्तों को शेयर करें और आपकी राय हमें कमेंट में बताएं और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें, जय हिंद.
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