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छट पूजा का त्योहार भारत के कुछ राज्यों में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है, छट पूजा में लोग पूरी निष्ठा से निर्जला व्रत रखते है। वैसे तो छट पूजा एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है लेकिन बहुत कम लोग ऐसे है जिन्हे इसके मनाए जाने के पीछे का कारण पता है। अगर आप भी जानना चाहते है की (Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai ) छठ पूजा क्यों मनाया जाता है, तो इस लेख के जरिए आप यह जानकारी पा सकते है।
छट त्योहार को भोजपुरी, मैथिल और मगध लोगो की संस्कृति से जोड़कर देखा जाता है, देशभर के हर कोने में रहने वाले भोजपुरी, मैथिल और मगध लोग इस त्योहार को धूम धाम से मनाते है। भारत के साथ साथ नेपाल और अन्य देशों में भी यह मनाया जाता है। छट पूजा के दौरान सूर्य देवता और छटी माता की पूजा की जाती है।
छठ पूजा कैसे मनाया जाता है
वैसे तो छट पूजा मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में धूम धाम से मनाई जाती है। लेकिन जो कोई भी छट पूजा मानता है उसे इस त्यौहार से जुड़े कुछ नियम मानने होते है। सही ढंग से पूजा करने और मनवांछित फल पाने के लिए आपको छट पूजा कैसे मनाई जाती है और छट पूजा के नियम क्या है यह पता होना चाहिए। छट पूजा लगातार चार दिनों तक मनाया जाने वाला एक पर्व है, इन चार दिनों में निम्नलिखित कार्य किए जाते है।
छट पूजा का पहला दिन – नहाई खाई
छट पूजा के पहले दिन को नहाई खाई कहा जाता है, इस दिन व्रत करने वाले लोग नहाने के बाद प्रसाद बनाते है। इस दिन खाने के लिए सोंधा नमक, घी से बना हुआ अक्खा चावल, लौकी से बनी हुई सब्जी बनाई जाती है, यही भोजन प्रसाद के तौर पर लिया जाता है।
छट पूजा का दूसरा दिन – खरना या लोहांगा
छट पूजा के दूसरे दिन को खरना या लोहांगा कहा जाता है, इस दिन से छट पूजा के व्रत की शुरुआत होती है। छट पूजा के दूसरे दिन व्रतियों द्वारा कठोर व्रत किया जाता है। इस दिन शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद व्रत तोड़ा जाता है और पूजा के लिए केले के पत्ते, केले, प्रसाद, बत्ती, अगरबत्ती, दिए ,पान सुपारी, आदि का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के बाद खीर और अन्य पकवान प्रसाद के रूप में लिया जाता है।
छट पूजा का तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
छट पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं छट पूजा से जुड़े भजन गाती है साथ ही में वर्तियो द्वारा नदी के तट पर जाकर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।
छट पूजा का चौथा दिन – छट पूजा
छट पूजा के चौथे दिन को छट पूजा के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रतियों द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है की ऐसा करने से व्रतियों की मनोकामना पूरी हो जाती है।
छट पूजा का इतिहास क्या है।
वैसे तो छट पूजा सनातन धर्म में हजारों सालों से मनाई जा रही है, इसलिए कहा नही जा सकता की इसकी शुरुआत कब हुई थी। हिंदू धर्म की अलग अलग कथाएं छट पूजा से जुड़ी हुई है। इनकी जानकारी नीचे दी गई है।
महाभारत और छट पूजा
कुछ मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की छट पूजा की शुरुआत महाभारत काल से ही हो गई थी। कर्ण जो की सूर्य और कुंती के पुत्र के वो अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए नदी में जाकर सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया करते है। कुछ और मान्यताओं के अनुसार कुंती कर्ण की मृत्यु के बाद उनको भोग लगाने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए नदी किनारे सूर्य देव की पूजा किया करती थी।
रामायण और छट पूजा
महाभारत के साथ साथ कुछ कथाओं के अनुसार रामायण को भी छट पूजा से जोड़कर देखा जाता हैं। मान्यता है की रावण का वध करने के बाद जब राम और सीता अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने कार्तिक शुक्ल पक्ष की छटवी तिथि को सूर्य देव के लिए व्रत रखा था।
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छट पूजा की सामग्री क्या है।
बहुत से लोग छट पूजा को मनाना चाहते है लेकिन उन्हें इस पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री नही पता होती, ऐसे में उन लोगो के लिए पूजा के दिन सामग्री लाना कठिन हो सकता है। नीचे छट पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की लिस्ट दी गई है।
- केले के पाते
- गन्ने
- इलाइची
- लॉन्ग
- केले
- हल्दी
- कुमकुम
- अक्षत
- कपूर
- हल्दी पौंधे के साथ
- घी का दिया
- दूध
- जलपात्र
- कलश
- पूजा के पान के पत्ते
- कच्चे धागे से बनी माला
- सुपारी
- मेवा
- मूली पत्तो के साथ
- धूप
- अगरबत्ती
- सुप्रि या टोकरी
- भोग के लिए भोजन
- दही
- फूल
- नारियल
- चौकी
क्यों मनाया जाता है छठ पूजा का त्यौहार Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai
छट पूजा का त्यौहार भारत और खासकर बिहार और उसके आस पास के राज्यो में प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। हर साल लाखो लोग इस त्यौहार को मानते है और पूरी निष्ठा के साथ व्रत रखते है। माना जाता है की छट पूजा में व्रत रखने से माता छटी और सूर्य देवता प्रसन्न होते है। यह त्योहार संतान प्राप्ति, सुख समृद्धि, सुरक्षा, आदि का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है।
छठ पूजा कब मनाई जाती है, 2023 छट पूजा तिथि
छट पूजा का त्यौहार भारत में कार्तिक शुक्ल पक्ष की छटवी तिथि को मनाया जाता है। इसे आसान भाषा में कहे तो छट पूजा दीपावली के छटवे दिन की जाती है। साल 2023 में छट पूजा की तिथि 20 नवंबर है। छट पर्व का पहला दिन 17 नवंबर, शुक्रवार और आखरी दिन 20 नवंबर यानी सोमवार होगा।
FAQ –
सवाल : छठ पूजा की कहानी क्या है?
जवाब : छट पूजा से जुड़ी अलग अलग कहानियां प्रचलित है, अगर आप इन कहानियों के बारे में पढ़ना चाहते है तो आप ऊपर पढ़ सकते है।
सवाल : छठ माता का पति कौन है?
जवाब : कुछ धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को छट माता का पति बताया गया है।
सवाल : छठ पूजा पर कौन से देवता की पूजा होती है?
जवाब : छट पूजा पर विशेष रूप से माता छटी और सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन लोग घुटनों तक पानी में खड़े होकर इन देवी देवताओं की पूजा करते है।
सवाल : सूर्य भगवान की बहन का क्या नाम है?
जवाब : सूर्यपुराण सूर्य भगवान से जुड़ा एक धार्मिक ग्रंथ है, इस ग्रंथ के अनुसार सूर्य भगवान की बहन का नाम यमुना है। आज के समय में सूर्य की बहन को यमुना नदी से जोड़कर देखा जाता है। कुछ कथाओं में छटी माता को भी सूर्य की बहन बताया गया है।
निष्कर्ष :-
आज के इस लेख में हमने जाना की छठ पूजा क्यों मनाया जाता है, छट पूजा कैसे मनाई जाती है। इस लेख में हमे छट पूजा से जुड़ी अन्य जानकारी भी साझा की है। में आशा करता हूं की यह जानकारी भरा लेख आपको समझ में आया होगा और छट पूजा से जुड़ी सभी जानकारी समझ पाएं होंगे। अगर आप किस और त्यौहार के बारे में जानना चाहते है तो आप कॉमेंट कर हमे बता सकते है। जानकारी अच्छी लगी तो इस लेख को शेयर करना ना भूले।
बहुत अच्छी जानकारी मिली है बाहुत बहुत धन्यवाद !